हमे कई प्रकार के lamp , daily देखने को मिलते हैं। कार्य स्थल और उपयोग के आधार पर अलग -अलग lamp उपयोग किये जाते हैं जैसे-कि कार्बन फिलामेंट लैंप , टंगस्टन फिलामेंट लैंप , CFL , LED lamp , sodium vapour lamp आदि । लेकिन आज के इस पोस्ट में हम नए lamp के बारे में जानेंगे जिसका नाम है Mercury vapour lamp ।
Mercury vapour lamp |
Table of Contents
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम mercury vapour lamp के बारे में जानेंगे कि mercury vapour lamp क्या होता है ,यह lamp कैसे काम करता है औऱ इसका उपयोग कहा किया जाता है ।
Introduction
Mercury vapour lamp एक प्रकार का gas discharge lamp होता है जो वाष्पीकृत mercury का उपयोग करके visible light उत्पन्न करता है । यह एक ऐसा lamp होता है जिसमे vaporized mercury का उपयोग किया जाता है जो electric arc का उपयोग करके प्रकाश उत्पन्न करता है । Mercury vapour lamp की दक्षता incandescent lamp से अधिक होता है ।
Construction
Mercury vapour lamp के संरचना की बात करें तो इस lamp में दो tube होती हैं ।
- Inner tube ( Discharge tube )
- Outer tube
construction |
Outer tube
Lamp का outer tube , borosilicate material का बना होता है । इसे borosilicate material का इस लिए बनाया जाता है ताकि जब discharge tube में arc के कारण heat बढ़े तो उस heat के कारण outer glass डैमेज न हो । यह glass 700 केल्विन तक के ताप को सहन कर सकता है ।
Inner tube
Lamp का inner tube , quartz material का बना होता है । इसे भी quartz material का इस लिए बनाया जाता है ताकि यह 1300 केल्विन तक के ताप को सहन कर सके । Inner tube को discharge tube भी कहते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि इसी tube में mercury का वाष्पीकरण होता है । इस tube के अंदर argon और mercury gas भरा रहता है । इस tube में दो main electrode और एक staring electrode होता है ।
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इन दोनों main electrodes के साथ में एक tungsten तार जुड़ा होता है । Main electrode के ऊपर electrons emitting material जैसे कि - थोरियम , कैल्शियम, बेरियम आदि का coating किया रहता है ताकि अधिक मात्रा में electron का उत्सर्जन हो ।
Starting electrode के साथ एक प्रतिरोध जुड़ा रहता है जो current को कंट्रोल करता है ।
Inner tube और outer tube के मध्य में नाइट्रोजन गैस भरी रहती है । यह गैस thermal insulation का काम करता है ।
Working Principle
Starting electrode द्वारा उत्पन्न arc का करंट एक resistance द्वारा कंट्रोल किया जाता है ।
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उत्पन्न arc के कारण उसके आस पास ऊष्मा उत्पन्न होने लगती है । जिसके कारण tube में उपस्थित आर्गन गैस आयनीकृत हो जाता है इस प्रकार दोनों इलेक्ट्रोड के मध्य विसर्जन प्रारंभ हो जाता है।
विसर्जन के ताप से मरकरी का वाष्पीकरण हो जाता है और tube के अंदर का ताप बढ़ जाता है ।
ताप बढ़ जाने के कारण 6 से 7 minute के बाद में यह lamp नीले, पीले, विसर्जन के साथ सफेद प्रकाश देने लगता है ।
Type of mercury vapour lamp
Mercury vapour lamp प्रायः दो प्रकार का होता है -
Advantages
- इसकी दक्षता अन्य lamps तुलना में अधिक होती है ।
- इसका जीवनकाल अन्य लंपो की तुलन में अधिक होता है ।
- यह lamp विभिन्न प्रकार के colour ,size, शेप व रेटिंग में पाए जाते हैं ।
- इसका output clear white लाइट होता है ।
Disadvantages
Application of Mercury vapour lamp---
इनका उपयोग स्ट्रीट लाइटिंग तथा इन्डस्ट्रियल प्लान्ट व व्यवसायिक स्थलों तथा संस्थानों में किया जाता है।
इनका उपयोग रेल्वे यार्ड (Railway Yards), बन्दरगाह (Ports), शॉपिंग मॉल (Shopping Malls) में किया जाता है।
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