वैसे तो आपने कई तरह के lamp देखें होंगे और उनके बारे में पढ़े होंगे लेकिन आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि sodium vapour lamp क्या होता है ,sodium vapour lamp की संरचना कैसे होती है और यह लैंप किस तरह से प्रकाश उत्पन्न करता है।
Table of Contents
Introduction
Sodium vapour lamp एक प्रकार का डिस्चार्ज लैंप होता है जो sodium और inert gases जैसे कि निऑन, आर्गन आदि gases का उपयोग करके Orange colour का प्रकाश उत्पन्न करता है sodium vapour lamp कहलाता है ।
Construction of Sodium vapour lamp
Sodium vapour lamp एक प्रकार का discharge लैंप होता है । इस लैंप में दो प्रकार की tube होती है ।
1 . Outer tube
2. Inner tube
Inner tube को एक विशेष प्रकार के कांच ( बोरो-सिलिकेट ) से बनाया जाता है ताकि प्रकाश उत्पन्न होने से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को यह glass सहन कर सके । इस glass tube के अंदर दो electrode फिक्स रहते हैं । Inner tube सामान्यतः U आकार का बना रहता है ऐसा इस लिए होता है कि जब electrodes के मध्य arc उत्पन्न हो तो उस arc की लंबाई को बढ़ाया जा सके । Arc की लंबाई बढ़ जाने से इस लैंप से उत्पन्न होने वाला प्रकाश की मात्रा बढ़ जाती है।
Sodium vapour lamp connection |
Inner tube के अंदर थोड़ी सी मात्रा में धात्विक सोडियम और थोड़ी सी मात्रा में निऑन गैस भरी रहती है।
जब sodium lamp कार्य नही कर रहा होता है तो उस समय tube के अन्दर उपस्थित सोडियम U-tube की आन्तरिक सतह पर जमा रहता है ।
Sodium lamp का बाहरी हिस्सा भी glass का बना होता है जिसे outer tube कहते हैं । इस outer tube के आन्तरिक सतह पर indium oxide की परत चढ़ी होती है ।
Inner tube और outer tube के बीच का माध्यम vacuum रहता है । Inner tube के अंदर fix electrode एक high reactance Transformer और Capacitor के साथ जुड़ा रहता है ।
Working- Principle of sodium vapour lamp
जब sodium vapour lamp को प्रकाशित करना होता है तो लैंप को electric supply से जोड़ा जाता है । Lamp को स्टार्ट करने के लिए प्रारंभ में 350 V से 450 V तक की ac supply की आवश्यकता पड़ती है। जब lamp को supply से जोड़ देते हैं तो circuit में लगा high reactance ट्रांसफार्मर starting में voltage को बढ़ा देता है जिससे दोनो इलेक्ट्रोड के मध्य arc उत्पन्न हो जाता है । प्रारम्भ में lamp के iner tube में जब arc उत्पन्न होता है तो उस टाइम tube के अंदर कम तापमान होता है और tube में उपस्थित neon और argon गैस के कारण lamp प्रारम्भ में गुलाबी रंग का प्रकाश उत्पन्न करता है । कुछ समय के बाद tube के अंदर का तापमान बढ़ने लगता है और tube में उपस्थित sodium वाष्पीकृत होने लगता है जिससे lamp धीरे-धीरे पीला प्रकाश उत्पन्न करने लगता है ।
10 से 15 मिनट के बाद जब sodium पूर्णतयः वाष्पीकृत हो जाता है तो lamp fully पीला प्रकाश देने लगता है । इस तरह से sodium vapour lamp को electric supply देने से यह पीला प्रकाश देने लगता है ।
Circuit में लगा transformer, staring में voltage को बढ़ाने और जब लैंप जलने लगता है तब उस समय वोल्टेज को कम करने का काम करता है ।
Circuit में लगा capacitor, power factor ( शक्ति गुणक ) को improve करने के लिए लगाया जाता है ताकि power कम consume हो ।
Application
Sodium vapour lamp का उपयोग निम्न जगहों पर किया जाता है -
1. Out side of home
2. सड़को पर
3. स्टेडियम में
Advantage
Sodium vapour lamp के निम्न लिखित लाभ हैं-
- इसकी दक्षता अधिक होती है।
- Voltage fluctuation के कारण लैंप पर कोई प्रभाव नही पड़ता है ।