Light हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग बन चुका है । आप सभी ने प्रकाश उत्पन्न करने वाले अनेक बल्ब देखे होंगे जो switch को on-off करने पर जलते और बुझते हैं । इन्ही bulbs और lamps के प्रकाश की सहायता से रात के समय या अंधेरे में किसी वस्तु को देख पाना सम्भव हो पाता है । इस लिए यह bulb हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं । आप सभी ने CFL लैंप तो देखा ही होगा लेकिन क्या आप जानते है कि यह CFL लैंप कैसे कार्य करता है तो चलिए आज के इस पोस्ट में CFL लैंप के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
Table of Contents
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम CFL लैंप के बारे में जानेंगे कि CFL लैंप क्या होता है , CFL लैंप कैसे कार्य करता है और इसकी संरचना कैसी होती है आदि ।
Introduction/ परिचय
जैसा कि हम सभी को पता है कि विश्व के पहले बल्ब का अविष्कार सन 1879 ई० में Sir Thomas Edison द्वारा अमेरिका में किया गया था । एडिसन द्वारा बनाया गया बल्ब incandescent lamp था जो लगभग 2000° C या इससे भी अधिक तापमान पर tungston filament के heating effect के कारण visible light उत्पन्न करता था । लेकिन visible light उत्पन्न करने की यह विधि green energy और greenhouse gases को प्रभावित करती थी जिसके कारण earth का तापमान बढ़ रहा था जो कि इस लैंप की सबसे सबसे बड़ी कमी थी । इस विधि द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने में अत्यधिक मात्रा में power का consuption होता है । इन सभी कमियों को ध्यान में रखकर Edison ने एक नए प्रकार का बल्ब बनाया जिसे CFL लैंप कहते हैं ।
CFL का पूरा नाम Compact fluorescent lamp है । यह एक ऐसा बल्ब है जो incandescent lamp से अधिक प्रकाश देता है औऱ कम बिजिली की खपत करता है । इसके खोज के बाद incandescent बल्ब को remove कर दिया गया । यह fluorescent lamp की तरह ही होता है लेकिन इसका size compact होता है ।
Construction/ संरचना
Cfl मुख्यतः 3 भागो से मिलकर बना होता है
- Electronic blast
- Base
- Phasphor coating glass
- Phasphor coating glass मुख्य रूप से विशेष कांच की बनी एक tube होती है । इस glass के आंतरिक सतह पर प्रकाश उत्पन्न करने के लिए phasphor पदार्थ की कोटिंग की जाती है तथा उल्टा U आकार या सर्पिलाकार का होता है ।
- इस tube के अंदर थोड़ी सी मात्रा में पारा तथा आर्गन गैस भरी होती है ।
- इस tube में दो इलेक्ट्रोड fix रहते हैं । इन दोनों इलेक्ट्रोड के ऊपर बेरियम पदार्थ की coating होती है । ऐसा इस लिए करते हैं ताकि जब इन इलेक्ट्रोड को supply से जोड़े तो अधिक मात्रा में इलेक्ट्रोड से इलेक्ट्रान उत्सर्जित हो ।
Electronic blast
Electronic blast ,CFL का मुख्य हिस्सा होता है । इस electronic blast में electronic components लगे होते हैं । जैसे-कि ट्रांसफार्मर ,डायोड,प्रतिरोध,संधारित्र,ट्रांजिस्टर आदि component लगे होते हैं ।
Tube में fix इलेक्ट्रोड electronic blast से जुड़ा रहता है ।
Base
Base भी cfl लैंप का मुख्य भाग होता है क्योंकि cfl lamp को glow कराने के लिए base के द्वारा ही इस लैंप को ac supply से जोड़ा जाता है । base प्रायः एल्मुनियम पदार्थ का बना होता है । Base में इसके side में दो पिन निकले रहते हैं जो lamp को electric socket में रोकने के लिए होते हैं ।
Working principle/ कार्य विधि
- जब electronic blast के माध्यम से उच्च आवृत्ति व उच्च वोल्टता फिलामेंट में प्रवाहित किया जाता है तो फिलामेंट के high resistance होने के कारण के कारण फिलामेंट में धारा बहने के कारण इलेक्ट्रोड का तापमान बढ़ जाता है ।
- उच्च तापमान होने के कारण इलेक्ट्रोड से उच्च गति से प्रवाहित होने वाले इलेक्ट्रान उत्सर्जित होते हैं ।
- उच्च गति से उत्सर्जित ये electron जब tube के अंदर उपस्थित mercury और argon के परमाणुओं से टकराते हैं तो कम तापमान का प्लाज्मा उत्पन्न होता है जिससे पराबैगनी प्रकाश उत्पन्न होता है ।
- यह पराबैगनी प्रकाश ट्यूब की सतह में लेपित फस्फोर से टकराकर visible light उत्पन्न करता है । इस प्रकार एक compact fluorescent lamp (CFL LAMP ) कार्य करता है ।
Application/अनुप्रयोग
CFL lamp का उपयोग बहुत सारी जगहों पर किया जाता है जैसे कि घर की लाइटिंग के लिए ,industrial lighting के लिए, commercial light के लिए आदि ।
Advantage/ लाभ
इस लैंप का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि यह कम बिजली की खपत में incandescent lamp से अधिक प्रकाश देता है
Conclusion
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने CFL लैंप के बारे में जाना कि CFLलैंप क्या होता है और यह किस तरह से कार्य करता है ।
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