दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम सर्किट ब्रेकर के बारे में पढ़ेंगे की what is circuit breaker in Hindi ,सर्किट ब्रेकर क्या होता है हिंदी में, circuit breaker की संरचना कैसी होती है , यह कैसे कार्य करता है और यह कितने प्रकार का होता है आदि और बहुत कुछ।
Table of Contents
Introduction
दोस्तों , आज जो हम अपने घरों में बहुत आसानी से light bulb जला लेते हैं ,iron से कपड़े स्त्री कर लेते हैं फ्रिज में रखी वस्तुओं को बहुत आसानी से ठंडा कर लेते हैं , टीवी चलाकर अपने पसंद का movie देख लेते हैं । आज कल ये चीजें बहुत ही आसान हो गयी है । इसके पीछे का कारण है इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और electricity । आज कल electricity से चलने वाली बहुत सी electronic devices आ चुकी हैं जिससे मानव जीवन जीना बहुत ही सरल हो गया है । इन सब में electricity कॉमन है । Electricity यानी power । Power को हम power house में उत्पन्न करते हैं । पावर हाउस में 11 KV तक voltage generate होता है लेकिन हमारे घरों में तो सामान्यतयः 220 voltage से 250 voltage आता है लेकिन यह कैसे होता है ?🤔🤔🤔🤔 तो आइये हम आपको बताते हैं-
दोस्तों, भारत में अभी power house में 11 KV तक voltage उत्पन्न किया जाता है फिर इस voltage को step-up transformer की सहायता से step up करके ट्रांसमिट करते हैं । यह 4 steps में होकर हमारे घरों में आता है । यह पूरा सिस्टम power system कहलाता है।
Power system को सही तरीके से चलाने के लिए हम Power system में सप्लाई को जरूरत के अनुसार on तथा off करने की जरूरत पड़ती है। पावर सिस्टम को ऑन तथा ऑफ करने कि 2 तरीकों से जरूरत पड़ती है। इसमें पहला तो हम अपनी इच्छा अनुसार पावर सप्लाई को काटते हैं तथा दूसरा यह कि जब पावर सप्लाई में कोई फाल्ट आ जाए तो उस समय हमें पावर को काटने की जरूरत पड़ती है। अतः इसके लिए हमें एक स्विचिंग डिवाइस की जरूरत पड़ती है। अतः इसी संदर्भ में हम सर्किट ब्रेकर (circuit breaker in Hindi) का इस्तेमाल करते हैं।
सर्किट ब्रेकर क्या होता है ( What is circuit breaker in Hindi )
Circuit breaker एक switching device है जो normal और abnormal दोनों स्थितियों में operate करने के लिए उपयोग किया जाता है । Circuit breaker एक स्विच की तरह कार्य करता है जो electrical circuit को open और close करने में उपयोग किया जता है ।
Definition- Circuit breaker एक इलेक्ट्रिकल स्विच होता है जो faulty condition में इलेक्ट्रिकल equipment को high current से बचाता है।।
Power system में circuit breaker को faulty condition में high current से electrical equipment को damage होने से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है क्योंकि electrical circuit में जितने भी उपकरण उपयोग किये जाते हैं उनका अपना अपना एक level होता है। और जब कही सिस्टम में short circuit या ओवरलोड हो जाता है तो circuit में high current बहने लगता है ।
इस high current की वजह से equipment ख़राब न हो इसलिए circuit breaker faulty condition में circuit को open कर देता है ।
Circuit breaker automatic और manual दोनों तरह से कार्य करता है । जब सर्किट में कही fault आता है तो circuit breaker automatic trip होकर सर्किट को open कर देता है और equipment को damage होने से बचा लेता है लेकिन जब maintenance की जरुरत पड़ती है तो इसे manual रूप से भी ट्रिप करके सर्किट को open करते हैं ।
इसे line के series में लगाया जाता है । इसका उपयोग On-Load और No-Load दोंनो स्थितियों में किया जाता है ।
On -load का मतलब यह की circuit में load के लगे होने पर भी इसे ऑपरेट करा के circuit को open किया जा सकता है ।
No-load का मतलब यह की circuit में load के न लगे होने पर भी इसे ऑपरेट करा के circuit को open किया जा सकता है ।
सर्किट ब्रेकर का कार्यविधि ( Working of circuit breaker in Hindi )
दोस्तों circuit breaker में मुख्यतः दो भाग होते हैं -
1. Fix Contact
2. Moving Contact
इन contacts को electrode कहते हैं । इनमे से fix contact , faulty condition में एक जगह fix होता है तथा moving contact , move करता है ।
सामान्य स्थिति में ( जब कोई fault उत्पन्न नही होता है तो ) यह दोनों contacts आपस में चिपके रहते हैं लेकिन जैसे system में कही fault उत्पन्न होता है तो circuit breaker की tripping coil उत्तेजित हो जाती है और एक mechanism के द्वारा circuit breaker के moving contact को खींच लिया जाता है जिससे circuit open हो जाती है और हमारे उपकरण damage होने से बच जाते हैं ।
जैसे ही moving contact , fix contact से अलग होता है तो दोनों contacts के बीच में अत्यधिक मात्रा में धारा बहती है जिससे दोनों contact के बीच में arc उत्पन्न हो जाता है । इस arc के माध्यम से faulty current circuit में बहता रहता है जो उपकरण को खराब कर सकता है । लेकिन इस arc को कुछ उपायो के द्वारा मात्र कुछ ही मिली सेकेण्ड में बुझा दिया जाता है । इन उपायों में तेल विधि, वायु का झोका , निर्वात आदि शामिल हैं ।
Circuit breaker में arc कैसे उत्त्पन्न होता है ,और इस arc को कैसे बुझाया जाता है ? इसकी संपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है-
सर्किट ब्रेकर में arc की उत्पत्ति ( Arc formation in circuit breaker in Hindi )
जब system में कोई fault उत्पन्न होता है तो दोनों संपर्कों से अत्यधिक धारा बहने लगती है तब circuit breaker का tripping coil energized हो जाती है और यह energized tripping coil सर्किट ब्रेकर के moving contact को अपनी तरफ खींच लेता है और circuit open हो जाती है ।
जब moving contact , fix contact से अलग होता है तो उस समय दोनों के संपर्क सतहों के बीच एक मीडियम गैप (medium gap) उत्पन्न होता है।
यहाँ पर medium gap का मतलब यह है कि सर्किट ब्रेकर के दोनों contact किसी न किसी medium में रखा होता है । चाहे वह medium gas हो या तेल या कोई अन्य ।
जैसे ही moving contact , fix contact से अलग होता है तो दोनों contacts के मध्य में अधिक धारा बहने लगती है जिससे तापमान बढ़ जाता है । यह तापमान दोनों contact के मध्य भरे माध्यम को आयोनाइज़्ड कर देता है । माध्यम के आयोनाइज़्ड हो जाने पर यह एक conductor की तरह कार्य करता है जिससे दोनों contacts के मध्य arc उत्पन्न हो जाती है ।
इस प्रकार circuit breaker में arc उत्पन्न होता है ।
सर्किट ब्रेकर में आर्क बुझाने की विधि ( Method of arc extinction in circuit breaker in Hindi )
दोस्तों सर्किट ब्रेकर ( circuit breaker ) के contacts के बीच में जो आर्क उत्पन्न होता है वह आर्क निम्न दो बातों पर निर्भर करता है -
1. Potential difference
2. Ionized particles between contacts
1.Potential difference-
दोनों contact के मध्य की दूरी कम होती है। दोनों सम्पर्कों के बीच विभवान्तर इस आर्क को बनाये रखने के लिए पर्याप्त होता है। आर्क को बुझाने के लिए अगर हम दोनों सम्पर्कों के बीच की दूरी को इतना बढ़ा दे ताकि दोनों संपर्कों के बीच आर्क को बनाये रखने के लिये विभवान्तर का मान कम पड़ जाये तब आर्क अपने आप बुझ जायेगी । परन्तु यह विधि सम्भव नही है क्योंकि उच्च वोल्टेज सर्किट ब्रेकर के लिए दोनों सम्पकों के बीच की दूरी को अत्यधिक बढ़ाने से circuit breaker की size बड़ी हो जायेगी जो की अधिक जगह लेगी ।
2. Ionised particle between contacts-
यदि दोनों contacts के मध्य उपस्थित आयनीकृत कण जो arc को बनाये रखने के लिए उत्तर दायित्व हैं यदि इन आयनीकृत कणों को किसी तरह हटा दिया जाये तो आर्क आसानी से बुझ जाती है । आज कल circuit breaker में इसी विधि का उपयोग किया अधिक किया जाता है ।
अतः इन दो विधियों के द्वारा हम circuit में उत्पन्न arc को मात्र कुछ ही मिली सेकंड में आसानी से बुझा सकते हैं ।
सर्किट ब्रेकर के प्रकार ( Type of circuit-breaker in Hindi )
सर्किट ब्रेकर का वर्गीकरण मुख्य रूप से इसमें उपस्थित आर्क बुझाने को प्रक्रिया के आधार पर ही कि जाती है। इसमें आर्क बुझाने के लिए जिस भी मीडियम का प्रयोग किया जाता है। उस सर्किट ब्रेकर मे उसी मीडियम के आधार पर नाम रखा जाता है। जैसे:-
- ऑयल सर्किट ब्रेकर (Oil circuit breaker)
- एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (air blast circuit breaker)
- Sf6 सर्किट ब्रेकर (Sf6 circuit breaker)
- वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vacuum circuit breaker)
सर्किट ब्रेकर के लाभ ( Advantage of Circuit Breaker in Hindi )
Power system में Circuit breaker के उपयोग करने के निम्नलिखित लाभ होते हैं -
- यह अत्यधिक करंट के प्रवाह से होने वाले नुकसान से बचाता है
- यह अधिक विश्वसनीय होते हैं।
- इसे रीसेट किया जा सकता है क्योंकि यह एक स्विच के माध्यम से संचालित होता है।
- यह ऑपरेशन में बहुत संवेदनशील है।
Circuit breaker के अनुप्रयोग
Circuit breaker का उपयोग निम्न जगहों पर किया जाता है-
- सर्किट ब्रेकर का उपयोग electric traction में locomotive supply से connect तथा disconnect करने के लिए किया जाता है ।
- सर्किट ब्रेकर का उपयोग वैद्युत मशीनों ( जैसे कि- generator , motor ,transformer आदि ) को सुरक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है ।
- Circuit breaker faulty condition में high current से उपकरण को damage होने से बचाता है ।
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