Electric charge भौतिकी के भीतर एक मौलिक अवधारणा है । दैनिक जीवन में हम जिस प्रकार विद्युत का उपयोग करके आराम दायक जीवन यापन कर रहे हैं इन सब के पीछे विद्युत आवेश (Electric Charge) का बहुत बड़ा योगदान है । आज के इस लेख में हम विद्युत आवेश की जटिल प्रकृति और उसके साथ जुड़े गुणों पर चर्चा करेंगे और experiment ( परीक्षण) के माध्यम से Electric Charge (विद्युत आवेश) के बारे में जानेंगे कि electric charge क्या होता है, electric charge का SI मात्रक क्या होता है आदि।
Table of Contents
What is electric charge in Hindi/ विद्युत आवेश क्या होता है?
विद्युत आवेश को समझने के लिए सबसे पहले हम एक experiment करते हैं।
सबसे पहले आप प्लास्टिक की कोई हल्की वस्तु ले लें। जैसे कि scale या pen । फिर उस scale या pen को अपने बालों या किसी कपड़े के साथ रगड़े । रगड़ने के बाद scale या pen को किसी कागज के टुकड़े के पास ले जाएं। आप देखोगे कि कागज के टुकड़े pen की ओर आकर्षित होने लगेंगे ।
इस प्रकार जब दो वस्तुओं को परस्पर आपस में रगड़ा जाता है तो उनमें कभी कभी ऐसा गुण आ जाता है कि वह अपने पास वाली हल्की वस्तुओं को आकर्षित कर लेती हैं। यह विद्युत आवेश (electric charge) के उत्पन्न होने के कारण होता है ।
जिस प्रकार छोटे से छोटे कण का कुछ न कुछ द्रव्यमान होता है उसी प्रकार आवेश भी पदार्थ का एक गुण होता है।
अतः वैद्युत आवेश को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि
विद्युत आवेश किसी भी पदार्थ का वह मौलिक गुण होता है जिसके कारण पदार्थ में विद्युत एवं चुम्बकीय प्रभाव महसूस किए जाते हैं । किसी भी वस्तु में इलेक्ट्रॉन की अधिकता या कमी होना आवेश को प्रदर्शित करता है ।
विद्युत आवेश का अविष्कार / Discovery of electric charge in Hindi)
क्या आप जानते हैं कि आवेश का खोज किसने किया और धन - आवेश तथा ऋण - आवेश का नाम किस वैज्ञानिक ने रखा ?
वैद्युत ऊर्जा के जनक ग्रीक देश के प्रसिद्ध दार्शनिक थेल्स थे । आज से लगभग 2500 वर्ष पहले उन्होंने एक प्रयोग किया और उस प्रयोग में पाया कि जब अंबर (जो की एक भूरा पीला पदार्थ होता है ) को किसी ऊनी कपड़े से रगड़ा जाता है तो उसमें हल्की वस्तुओं जैसे कागज के टुकड़े तिनके आदि को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।
इसके लंबे समय अंतराल के बाद 1600 ई० में इंग्लैंड के वैज्ञानिक डॉ० गिल्बर्ट ने अपने प्रयोग में पाया कि अंबर की तरह ही अन्य पदार्थ जैसे की कांच आबनूस गंधक लाख इत्यादि में भी रगड़ने पर हल्की वस्तु को आकर्षित करने का गुण आ जाता है । अंबर को ग्रीक भाषा में इलेक्ट्रॉन कहते हैं इसलिए डॉ० गिल्बर्ट ने रगड़ से उत्पन्न होने वाले इस गुण को ' Electricity ' कहा और जिस पदार्थ में यह गुण उत्पन्न हो जाता है उसे ' Charged ' कहा।
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने सन 1750 ई० में देखा कि समान मात्रा एवं विपरीत प्रकृति के आवेश परस्पर उसी प्रकार निरस्त हो जाते हैं जिस प्रकार सामान परिमाण की धनात्मक एवं ऋणात्मक संख्याएं ।
जैसे:-
-2+2=0
उसी प्रकार
-E+E=0
अतः दोनों प्रकार के आवेशों में से एक को धन- आवेश का नाम दिया और दूसरे प्रकार के आवेश को ऋण- आवेश का नाम दिया।
इसी प्रकार भविष्य में कई सारे वैज्ञानिक आए जिन्होंने अपने-अपने प्रयोगों के द्वारा इलेक्ट्रिक फील्ड और मैग्नेटिक फील्ड में कई महत्वपूर्ण योगदान दिया।
जैसे Stephen Gray द्वारा इंसुलेटर और कंडक्टर की खोज करना , Coulomb द्वारा दो आवेशित कणों के बीच Electro - static force का mathematical सूत्र देना आदि ।
आने वाली पोस्ट में हम मैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रिक फील्ड के बारे में विस्तार से जानेंगे ।
वैद्युत आवेश के प्रकार / ( Types of Electric Charge in Hindi)
वैद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं जिनका नाम बेंजामिन फ्रैंकलिन ने दिया था ।
- धनात्मक आवेश (Positive charge)
- ऋणात्मक आवेश (Negative charge)
- धनात्मक आवेश (Positive charge) -: प्रोटान परमाणु के नाभिक में होता है और प्रोटान पर ही धनात्मक आवेश पाया जाता है तथा धनात्मक आवेश को +e चिन्ह के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।
- ऋणात्मक आवेश ( Negative charge) -: ऋणात्मक आवेश इलेक्ट्रॉन से जुड़े होते हैं जो परमाणु के नाभिक की परिक्रमा करते हैं । इन्हें ऋणात्मक वैद्युत आवेश कहते हैं और ऋणात्मक वैद्युत आवेश को (-e ) चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
वैद्युत आवेश की प्रकृति / Nature of Electric Charge in Hindi)
वैद्युत आवेश विद्युत चुंबकत्व की नीव हैं । विद्युत चुंबकत्व को समझने के लिए हमे वैद्युत आवेश के nature अर्थात प्रकृति के बारे में पता होना चाहिए ।
समान वैद्युत आवेश-: समान प्रकार के वैद्युत आवेश , जैसे कि धनात्मक और धनात्मक या ऋणात्मक और ऋणात्मक वैद्युत आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं । प्रतिकर्षित करने का अर्थ यह है कि पदार्थ पर समान आवेश होने पर जब पदार्थ को एक दूसरे के पास ले जाया जाता है तो यह एक दूसरे से दूर भागते हैं ।
विपरीत वैद्युत आवेश-: विपरीत प्रकार के वैद्युत आवेश , जैसे कि धनात्मक और ऋणात्मक वैद्युत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं । आकर्षित करने का अर्थ यह है कि जब पदार्थ पर विपरीत प्रकार का आवेश होगा तो पदार्थ को एक दूसरे के पास ले जाने पर यह एक दूसरे को अपने तरफ खींचते हैं ।
वैद्यूत आवेश का मात्रक /( Unit of electric charge in Hindi)
वैद्युत् आवेश का मात्रक ' कूलाम ' होता है तथा इसे ' C ' से प्रदर्शित करते हैं । कूलाम की परिभाषा एम्पीयर के आधार पर दी जाती है ।
वैद्युत धारा =वैद्युत आवेश/समय
इसलिए----------
वैद्युत आवेश =वैद्युत धारा × समय
यदि किसी चालक में 1 एम्पीयर की वैद्युत धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित हो तो उस चालक में से गुजरने वाले विद्युत आवेश की मात्रा 1 कुलाम होगी ।
अतः
1 कुलाम= 1 एम्पीयर × सेकेंड
अतः आवेश का SI मात्रक 'कुलाम ' या 'एम्पीयर × सेकंड ' होगा ।
एक इलेक्ट्रॉन पर 1 कुलाम का ऋण आवेश होता है ।
वैद्युत आवेश के गुण / Properties of Electric Charge in Hindi
ऊपर हमने पढ़ा की समान परिमाण के विपरीत विद्युत आवेश एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं (जैसे कि -2e+2e =0) ।
सजातीय विद्युत आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं एवं विजातीय विद्युत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं ।
अब हम यहां विद्युत आवेश के अन्य गुणों का वर्णन करेंगे।
- विद्युत आवेश की संयोजकता
- विद्युत आवेश का संरक्षण
- विद्युत आवेश का परिमाणीकरण
वैद्युत आवेश का संरक्षण / ( Conservation of electric charge in Hindi)
एक Isolated system के अंदर आवेश संरक्षित रहता है । इसका मतलब यह है कि सिस्टम के भीतर का कुल विद्युत आवेश समय के साथ स्थिर रहता है । सिस्टम में मौजूद सभी आवेशों का बीज- गणितीय योग समान रहता है। इस प्रकार
विद्युत आवेश को न उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है ।
वैद्युत आवेश का संयोजकता / (Additivity of electric charge in Hindi)
विद्युत आवेश की संयोजकता का अर्थ है कि किसी सिस्टम का कुल आवेश सिस्टम के अंदर स्थित अलग-अलग आवेशऔर विभिन्न बिंदुओं के आवेश का बीजगणितीय योग होता है।
जैसे
Q= Σ(q1+q2+q3+..................qn)
विद्युत आवेश का परिमाणीकरण/ (Quantization of Electric Charge in Hindi)
Quantization का अर्थ है कि किसी भी वस्तु का इलेक्ट्रिक चार्ज हमेशा न्यूनतम मात्रा में होगा । आवेश की इस न्यूनतम मात्रा को ' e ' से प्रदर्शित करते हैं और इससे छोटा आवेश नहीं होता है । यदि हम किसी आवेशित वस्तु को नापे तो उसका आवेश सदैव ' e ' के पूर्ण गुणज के रूप में होगा । जैसे e, 2e,3e,4e------------इत्यादि।
अतः विद्युत आवेश को अनिश्चित रूप से अविभाजित नहीं किया जा सकता है आवेश की इस गुण को quantization of electric charge कहते हैं ।
q=ne
जहां q आवेश को प्रदर्शित करता है
n = Integer value ( जैसे 1,2,3 इत्यादि)
e= एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश का मान
वस्तु को आवेशित करने के तरीके ( Method of charging in Hindi)
किसी वस्तु को विद्युत आवेश प्रदान करना या वस्तु में से आवेशों को हटाकर उसे अनावेशित कर देना ही charging कहलाता है ।
इन 3 विधियों के द्वारा किसी भी वस्तु को हम आवेशित एवं अनावेशित कर सकते हैं ।
- घर्षण द्वारा आवेशन होना
- चालन द्वारा आवेशन होना
- इंडक्शन द्वारा आवेशन होना
घर्षण द्वारा आवेशन ( Charging by Friction)
जब हम किसी इंसुलेटर को आपस में रगड़ते हैं तो उनमें आवेश का आदान-प्रदान होने लगता है जब दो वस्तुएँ एक दूसरे से रगड़ती हैं तो आवेश का स्थानांतरण होता है। इस प्रक्रिया में, एक वस्तु इलेक्ट्रॉन खो देती है जबकि दूसरी वस्तु इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर लेती है।
इलेक्ट्रॉन खोने वाली वस्तु धनावेशित हो जाती है, जबकि इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने वाली वस्तु ऋणावेशित हो जाती है। यह घटना, जहां दोनों वस्तुएँ घर्षण के कारण आवेशित हो जाती हैं, आमतौर पर घर्षण द्वारा विद्युतीकरण के रूप में जानी जाती है।
चालन द्वारा आवेशन( Charging by Conduction)
चालन द्वारा आवेशन में किसी अनावेशित वस्तु को आवेशित वस्तु के पास लाकर उसे आवेशित वस्तु को भौतिक रूप से चिपका देते हैं । अब यदि आवेशित वस्तु में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर नहीं है तो अनावेशित वस्तु स्थिरता पाने के लिए वह electron loose कर देगा जिससे अनावेशित वस्तु धनावेशित हो जायेगी ।
दो वस्तुओं के contact मिलने पर जो आवेश का आदान प्रदान होता है उसे charging by conduction के रूप में जाना जाता है ।
Conduction charging method में अनावेशित वस्तु पर उसी प्रकार का आवेश आ जाता है जिस प्रकार का आवेश आवेशित वस्तु पर होता है ।
इंडक्शन के द्वारा आवेशन ( Charging by Induction)
Induction method में किसी अनावेशित वस्तु को बिना किसी सीधे भौतिक संपर्क के केवल आवेशित वस्तु के करीब में लाकर चार्जिंग करते हैं ।
इस विधि में अनावेशित वस्तु पर आवेशित वस्तु के विपरीत आवेश आ जाता है जबकि अन्य विधियों मे अनावेशित वस्तु पर आवेशित वस्तु के समान आवेश आ जाता है ।
इस लेख में हमने देखा कि आवेश क्या होता है साथ ही आवेश से जुड़े उनके गुणों को भी देखा कि समान प्रकार के आवेश किस प्रकार एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं एवं आसमान प्रकार के आवेश एक दूसरे को किस प्रकार आकर्षित करते हैं ।
आशा करता हूं कि यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी ।
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वैद्युत आवेश क्या है इसकी खोज और किसने किया है।.
जवाब देंहटाएंविद्युत आवेश किसी भी पदार्थ का वह मौलिक गुण होता है जिसके कारण पदार्थ में विद्युत एवं चुम्बकीय प्रभाव महसूस किए जाते हैं ।
हटाएंथेल्स , डॉ० गिल्बर्ट ने वैदयुत आवेश की खोज की थी।