गर्मियों के दिनों में या शुष्क दिनों में आपने यह जरूर एहसास किया होगा की जब आप अपने कपड़े उतारते हो तो उन कपड़ों से चट पट की आवाज सुनाई देती है या जब बालों को कंघी करते हो तो उस कंघी में छोटी वस्तुएं जैसे कागज के टुकड़ों को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।
हैरानी की बात है न।
कि बालों को कंघी करने से कंघी में चुंबक की तरह वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।
यह किसी जादू से कम नहीं है । है न।
लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह कोई जादू नहीं है । यह ऐसा इस लिए होता है क्योंकि कंघी बालों के द्वारा आवेशित हो जाती है ।
"आवेश किसी पदार्थ का एक मौलिक गुण होता है।"
जब किसी दो भिन्न भिन्न वस्तुओ को परस्पर रगड़ा जाता है तो दोनों वस्तुओं पर समान मात्रा का विपरीत आवेश आ जाता है ।
यदि इन वस्तुओं पर समान प्रकार का आवेश होगा तो यह एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे लेकिन अगर आवेश विपरीत प्रकार का है तो यह वस्तुएं एक दूसरे को आकर्षित करेंगी।
यही वजह है कि जब हम बालों को कंघी करते हैं तो कंघी में वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।
वैद्युत आवेश के बारे में हमने पहले ही एक पोस्ट पब्लिश कर रखी है जिसमे वैद्यूत आवेश के बारे में विस्तार से बताया गया है ।
आज के इस पोस्ट में हम कूलाम के नियम के बारे में जानेंगे कि कूलाम का नियम क्या है , कूलाम के नियम का सदिश रुप क्या है ,कूलाम के नियम का फॉर्मूला क्या है आदि ।
वैज्ञानिक चार्ल्स ऑगस्टिन कूलॉम ने 1780 के दशक में कूलॉम नियम को प्रस्तावित किया था । इस नियम के द्वारा उन्होंने यह बताया की दो स्थिर वैदयुत आवेशों के बीच में किस प्रकार का बल (आकर्षण या प्रतिकर्षण ) लगेगा और कितना बल लगेगा । उन्होंने दो आवेशो के बीच कार्य करने वाले बल के संबंध में एक नियम दिया जिसे ' कुलाम ' का नियम कहते हैं।
आइए एक उदाहरण से कूलाम के नियम को आसानी से समझते है।
कल्पना कीजिए कि आपके पास दो गुब्बारे हैं - एक लाल और एक नीला। लाल गुब्बारे को रगड़ने से उस पर ऋणात्मक आवेश (negative charge) आ जाता है और नीले गुब्बारे को रगड़ने पर उस पर धनात्मक आवेश (positive charge) आ जाता है। अब इन दोनों गुब्बारों को पास लाने पर क्या होगा?
- आकर्षण (Attraction): यदि लाल और नीला गुब्बारा (विपरीत आवेश) एक दूसरे के पास लाए जाते हैं, तो वे एक-दूसरे की ओर खींचे चले जाते हैं। कूलॉम का नियम बताता है कि विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण बल होता है।
- प्रतिकर्षण (Repulsion): लेकिन, अगर आप दोनों लाल गुब्बारे (समान आवेश) या दोनों नीले गुब्बारे (समान आवेश) को पास लाते हैं, तो वे एक-दूसरे को दूर धकेलने लगेंगे। कूलॉम का नियम यह भी कहता है कि समान आवेशों के बीच प्रतिकर्षण बल होता है।
कूलॉम के नियम का गणितीय सूत्र
कूलाम ने दो स्थिर विद्युत आवेशो के बीच में कितना बल लगेगा ,इसके लिए एक गणितीय सूत्र दिया । कुलाम के नियम के अनुसार ,
"दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा दोनों आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। "
माना कि दो बिंदु आवेश q1 व q2 हैं जो एक दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं,तो उनके बीच लगने वाला वैद्युत बल F है तब ,
कूलाम के नियम का सदिश स्वरूप । Coulomb's law in vector form
IMPORTANCE OF COULOMB LAW / कूलाम के नियम का महत्व
- कूलाम के नियम का कोई गणितीय उत्पत्ति नहीं है । कूलाम का नियम प्रयोगात्मक कार्यों पर आधारित है ।
- कूलाम का नियम बिंदु तथा स्थिर अवेशो के लिए ही सत्य है ।
- कूलाम का नियम माध्यम पर निर्भर करता है ।
- दो समान प्रकृति के आवेशों के कारण कोई तीसरा आवेश तब संतुलन में रह सकता है जब वह आवेशों के बीच रखा जाए।
- दो विपरीत प्रकृति के आवेशों के कारण एक तीसरा आवेश तब तक संतुलन में रह सकता है जब वह आवेशों के बाहर काम परिमाण वाले आवेश की ओर रखा जाए ।
- आवेशों के निकाय में यदि कोई आवेश संतुलन में है तो इसका अर्थ है कि उसे आवेश पर परिणामी बाल शून्य है और यदि पूरा निकाय संतुलन में है तो इसका अर्थ है कि निकाय के प्रत्येक आवेश पर लगने वाला नेट बल शून्य है।
Limitation of Coulomb Law/ कूलाम के नियम की सीमाएं
- कूलाम का नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए ही सत्य है ।
- यह नियम अधिक दूरी के सत्य नहीं है ।
- यह नियम 10^-15 मीटर से कम दूरियों के लिए भी सत्य नहीं है, क्योंकि 10^-15 मीटर से कम दूरियों पर नाभिकीय बल की प्रधानता के कारण ये बल अनुपयुक्त हो जाता है ।
- यह एक सार्वत्रिक(universal) नियम नहीं है।.
- कूलाम का नियम स्थिर अवेशो के लिए ही सत्य है गतिमान आवेश के लिए नहीं।
Principle of Super position /अध्यारोपण का सिद्धांत
कूलाम का नियम हमे केवल दो स्थिर आवेशों के बीच लगने वाले विद्युत बल की मात्रा को बताता है ।
लेकिन यदि किसी निकाय में अनेक आवेश हों तो उनमें से किसी एक आवेश पर उन सभी आवेशों के कारण कितना बल कार्य कर रहा है ? इसके लिए अध्यारोपण सिद्धांत उपयोग में लाया जाता है ।
अध्यारोपण सिद्धांत के अनुसार,
"यदि किसी निकाय में अनेक आवेश हो तो उनमें से किसी एक आवेश पर पर कई अन्य आवेशों के कारण बल उस आवेश पर लगे सभी बलों के वेक्टर योग के बराबर होता है । जो इन आवेशों द्वारा इस आवेश पर एक-एक कर लगाया जाता है इसे अध्यारोपण का सिद्धांत कहते हैं ।"
माना कि निकाय में n आवेश q1,q2,q3,.............qn हैं। माना कि हमे q1 पर लगने वाले वैद्युत बल ज्ञात करना है ।
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